दहेज…. हमारी जरूरत
शीर्षक – दहेज
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दहेज आज आधुनिक हो गया है।
न मांग न कोई अपना व्यवहार हैं।
बस दहेज़ अब हमारी खुद की सोच हैं।
बेटा बेटी ही अपने जरुरत के साथ हैं।
हां दहेज में अब धन मोह माया खूब हैं।
न सोच न समझ केवल स्वार्थ रहता हैं।
आज दहेज हमारे खुद की जिंदगी हैं।
हां आज न हम माता पिता की सोच हैं।
बस हम युवाओं की दहेज जरुरत हैं।
सच तो हम स्वयं ही हमारी सोच है।
दहेज आज एक फैशन बन चुका हैं।
आज हमारे स्वयं की दहेज जरुरत हैं।
परिवार के साथ न अब हमारी सोच हैं।
अब हमारी आधुनिक समय की बात हैं।
सच तो अब दहेज ही एक स्वार्थ बना हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र