Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jan 2024 · 1 min read

दहेज प्रथा

बेटी तो होती है वरदान, दहेज है एक अभिशाप।
बेटी चहकती है, महकाती है घर परिवार।
छोड़ बाबुल का घर अंगना, जाती है ससुराल।
बेटे-बेटी की जब होती है परवरिश एकसार,
तो क्यूँ माँगे बेटेवाले और बेटीवाले सहे ये भार।
कहते हैं बहू को लक्ष्मी, इसलिए कि वो लाती है धन और दौलत,
बेटा तो कहलाता घर का चिराग, इसलिए लगती है उसकी कीमत।
झूठ है कि बेटी होती है पराया धन, क्यूंकि बिकता तो बेटा है,
दहेज प्रथा तो है घुन, क्यूंकि दो पाटों में पिसता तो बेटा भी है।
बेटे को बेच क्यूँ नहीं शर्माते माँ बाप,
बहु की कमाई खाने में कैसे समझते अपनी शान?
बेटी बहू हैं दोनों घर की शान, समझो ये और बढ़ाओ अपना ज्ञान,
हटाओ दहेज प्रथा का अभिशाप, और बनाओ सबका जीवन खुशहाल।
बदलो स्वयं और बदलो समाज,
ना फर्क़ हो बहु-बेटी और बेटा-जमाई में,
ये सोच ही बदलेगी दुनिया, लाएगी खुशियाँ,
जोड़ेगी प्यार के सम्बंध और तोड़ेगी दहेज की दीवार।
बेटी तो होती है वरदान, दहेज है एक अभिशाप।

Language: Hindi
4 Likes · 121 Views
Books from Savitri Dhayal
View all

You may also like these posts

जीवा रै तारण सारु,
जीवा रै तारण सारु,
लक्की सिंह चौहान
ईश्वर की आँखों में
ईश्वर की आँखों में
Dr. Kishan tandon kranti
बस अणु भर मैं बस एक अणु भर
बस अणु भर मैं बस एक अणु भर
Atul "Krishn"
जा चला जा दिसंबर....
जा चला जा दिसंबर....
Jyoti Roshni
**जाते-जाते वो हम से वफ़ा कर गए**
**जाते-जाते वो हम से वफ़ा कर गए**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
युग अन्त
युग अन्त
Ravi Shukla
खुला आसमान
खुला आसमान
Meenakshi Bhatnagar
- मेरी मोहब्बत तुम्हारा इंतिहान हो गई -
- मेरी मोहब्बत तुम्हारा इंतिहान हो गई -
bharat gehlot
मंगलमय हो नववर्ष सखे आ रहे अवध में रघुराई।
मंगलमय हो नववर्ष सखे आ रहे अवध में रघुराई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
चिंतन
चिंतन
Rambali Mishra
बुरे फँसे टिकट माँगकर (हास्य-व्यंग्य)
बुरे फँसे टिकट माँगकर (हास्य-व्यंग्य)
Ravi Prakash
गुलमोहर
गुलमोहर
डॉ.स्नेहलता
वह एक हीं फूल है
वह एक हीं फूल है
Shweta Soni
आपकी बुद्धिमत्ता प्रकृति द्वारा दिया गया सबसे बड़ा इनाम है।
आपकी बुद्धिमत्ता प्रकृति द्वारा दिया गया सबसे बड़ा इनाम है।
Rj Anand Prajapati
वसंत पंचमी का महत्व
वसंत पंचमी का महत्व
Sudhir srivastava
3939.💐 *पूर्णिका* 💐
3939.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
इन समंदर का तसव्वुर भी क्या ख़ूब होता है,
इन समंदर का तसव्वुर भी क्या ख़ूब होता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
जितने चंचल है कान्हा
जितने चंचल है कान्हा
Harminder Kaur
गुलामी के पदचिन्ह
गुलामी के पदचिन्ह
मनोज कर्ण
दान किसे
दान किसे
Sanjay ' शून्य'
ख़्वाबों की दुनिया
ख़्वाबों की दुनिया
Dr fauzia Naseem shad
अपने हिस्सों में आई तकलीफे किसे पसंद होती हैं।
अपने हिस्सों में आई तकलीफे किसे पसंद होती हैं।
पूर्वार्थ
..
..
*प्रणय*
रोला छंद
रोला छंद
sushil sarna
कितना खाली खालीपन है !
कितना खाली खालीपन है !
Saraswati Bajpai
हज़ारों चाहने वाले निभाए एक मिल जाए
हज़ारों चाहने वाले निभाए एक मिल जाए
आर.एस. 'प्रीतम'
बरबादी के साल हवे ई
बरबादी के साल हवे ई
आकाश महेशपुरी
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
दोस्ती का मर्म (कविता)
दोस्ती का मर्म (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
Loading...