*दहेज: छह दोहे*
दहेज: छह दोहे
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1)
लोभी दूल्हे हो गए, दुल्हन हैं लाचार
कैसे बिना दहेज के, होगा बेड़ा पार
2)
जिनको लोभ दहेज का, क्यों दें उन्हें दहेज
बैंड बजा कर जोर से, क्यों न जेल दें भेज
3)
कैसे प्रथा दहेज की, होगी बंटाधार
जब दहेज-अनुदान खुद, देती है सरकार
4)
चाल-चलन महॅंगे हुए, महॅंगा हुआ विवाह
सस्ते में हों शादियॉं, ढूॅंढ़ो नूतन राह
5)
अफसर-नेता यदि करें, सस्ता पुत्र-विवाह
जन-जन को होगी सुलभ, सरल सादगी राह
6)
बेटी को कर दो खड़ा, पैरों पर तैयार
शिक्षा बड़ी दहेज से, जीवन का हथियार
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451