दहेज़ प्रथा
हाय यह कैसी प्रथा है आई.
ना जाने कितने घर को है जलाई.
ना जाने कितने माँ कि गोद है मिटाई.
हाय यह कैसी प्रथा है आई.
रूप इसका करूप है.
भरा इसमें कितना विश है.
ना जाने कितने कन्याओं की बली है चढाई.
ना जाने कितने कन्याओं के खवाबों को है जलाके राख है बनाई .
हाय यह कैसी प्रथा है आई.
कितने सपने टूटे हैं कन्याओं के
कितने अपने छुटे इनके.
हाय समय ने कैसा दृश्य है देखाई.
हाय यह कैसी प्रथा है आई.
सपनो कि गगरी है टूटी.
उम्मीदों की लरिया है छुटी.
जीवन का यह कैसा मोड़ है आया.
अच्छी खासी जीवन को नरक है बनाई.
हाय यह कैसी प्रथा है आई.