Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Dec 2023 · 1 min read

दहलीज के पार 🌷🙏

दहलीज के पार🙏
🍀☘️🙏🙏🌷
निज संतानो को पाला पोसा
बड़ा हो जग में आसन पाया
अफ़सर बन भारत माता की
सेवा करने का सुअवसर पाया

अफ़सरशाही के शानोसौकत
भूल गया अपना पराया माया
मोह अहम घमंड़ झंझावातों में
निज छोड़ दूजे अपना स्वयं तन

दुर्बलता कायाकल्प हो गया
भावों की झोंकों में दहलीज
पार छोड़ मुझे निज हालों पे
औरों की हाल पूछने चले गए

अनुनय विनय किया आंगन
आने को अकड़ आगे बढ गए
विकसित फूलों की इस डाली
निज भविष्य मुरझाने स्वयं

जिम्मेदारी साथ ले चले गए
कब तक कोईअपमान सहेगा
शूल बेदना खुद मुरझा जाएगा
पश्चतापे की अंध सागर में डूब

किनारा पाने की बैचैनी में
दहलीज सहारा लेना होगा
समय देता एक भुलावा सबको
स्वर्ग से सुंदर अपना जन्म घर

श्रृंगार सजा लिए चार कंधे
सहारे परिक्षेत्र भ्रमण यादों
मुरझा फूल दहलीज़ खिला
जग से विदाई लेना होगा
मातृभूमी कर्ज़ चुकाना होगा
☘️🍀🌷🙏🙏🌹☘️🍀
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण

Language: Hindi
199 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
View all
You may also like:
बुंदेली दोहे- छरक
बुंदेली दोहे- छरक
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ମାଟିରେ କିଛି ନାହିଁ
ମାଟିରେ କିଛି ନାହିଁ
Otteri Selvakumar
— नारी न होती तो —
— नारी न होती तो —
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
दुरीयों के बावजूद...
दुरीयों के बावजूद...
सुरेश ठकरेले "हीरा तनुज"
सफलता मिलना कब पक्का हो जाता है।
सफलता मिलना कब पक्का हो जाता है।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
गीत _ इतना तो बतलाओ तुम !
गीत _ इतना तो बतलाओ तुम !
Neelofar Khan
* कुण्डलिया *
* कुण्डलिया *
surenderpal vaidya
"ऐसा करें कुछ"
Dr. Kishan tandon kranti
बसंती हवा
बसंती हवा
Arvina
इससे बढ़कर पता नहीं कुछ भी ।
इससे बढ़कर पता नहीं कुछ भी ।
Dr fauzia Naseem shad
सर्वनाम
सर्वनाम
Neelam Sharma
ध्यान क्या है, ध्यान क्यों करना चाहिए, और ध्यान के क्या क्या फायदा हो सकता है? - रविकेश झा
ध्यान क्या है, ध्यान क्यों करना चाहिए, और ध्यान के क्या क्या फायदा हो सकता है? - रविकेश झा
Ravikesh Jha
3176.*पूर्णिका*
3176.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हिज़ाब को चेहरे से हटाएँ किस तरह Ghazal by Vinit Singh Shayar
हिज़ाब को चेहरे से हटाएँ किस तरह Ghazal by Vinit Singh Shayar
Vinit kumar
जवाला
जवाला
भरत कुमार सोलंकी
मेरी कलम से बिखरी स्याही कभी गुनगुनाएंगे,
मेरी कलम से बिखरी स्याही कभी गुनगुनाएंगे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
संवेदनापूर्ण जीवन हो जिनका 🌷
संवेदनापूर्ण जीवन हो जिनका 🌷
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
The Nature
The Nature
Bidyadhar Mantry
चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
मां की याद
मां की याद
Neeraj Agarwal
गर्मी से है बेचैन,जरा चैन लाइये।
गर्मी से है बेचैन,जरा चैन लाइये।
Sachin Mishra
True love
True love
Bhawana ranga
■ आज का मुक्तक
■ आज का मुक्तक
*प्रणय*
लघु कथा:सुकून
लघु कथा:सुकून
Harminder Kaur
बरखा रानी तू कयामत है ...
बरखा रानी तू कयामत है ...
ओनिका सेतिया 'अनु '
प्यार को शब्दों में ऊबारकर
प्यार को शब्दों में ऊबारकर
Rekha khichi
इन आँखों को हो गई,
इन आँखों को हो गई,
sushil sarna
तुम - दीपक नीलपदम्
तुम - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
सामाजिकता
सामाजिकता
Punam Pande
हे राम तुम्हारा अभिनंदन।
हे राम तुम्हारा अभिनंदन।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...