दस नंबर
मेरे मोबाइल में
अब
दस नाम ऐसे हैं
जिनसे मैं
नहीं कर सकता संपर्क
उन नामों पर
जिस नाम से
वे
मेरे फोन में सुरक्षित हैं
क्योंकि….
उन नामों वाले वे
व्यक्ति
कह गए हैं अलविदा
इस भूलोक को
नहीं…ऐसा नहीं
शायद जो तुम रहे हो सोच
वे उम्र को अभी
नहीं पाए थे लाँघ
न ही थे वे अधेड़
कोई दहलीज पर था
अपनी जवानी की
तो कोई खटखटा रहा था
दरवाजा प्रौढ़ता का
किसी को था दमा
तो…
कोई साँसों से था अक्षम
किसी के गल गए थे
फेफड़े….
तो किसी की सड़ गई थी आँतें
तुम जानते हो कि
ऐसा हुआ था क्यों
साथ उनके
शायद वे मैच्योर
हो गए थे अपनी
उम्र से पहले
कोई उड़ेलता था पेट में
अंगूर की बेटी को
तो…कोई उड़ाता था गोल छल्ले
धूम्रडंडी के…
कोई चबाता था निशदिन
पान-गुटखे तो…
कोई दबाता था
दाँतों तले
एक चुटकी तमाखू
सोचते थे
वे खाते और पीते थे उनको
पर..वे ही खा और पी गए उनको
हो सकता है उन नंबरों की
बज जाए घंटी
शायद हो जाए बात उनके पिता या माता से
भगिनी से या भ्राता से
पर ये तो अटल सत्य है
न हो पाएगी बात उन नामों से
जिस नाम से सुरक्षित हैं वे नंबर
मेरे मोबाइल फोन में
सोनू हंस