दवा सा आजमाया है ।
#दवाई
मुझे भी तो लोगों ने समय समय पर आजमाया है।
मैं किस चीज की दवा हूँ न आजतक बताया है ।
भरी शीशी दवाई सा मुझे झकझोरा है।
जब भी मौका मिला दो खण्ड तोडा है ।
जानता हूँ मैं एक कडवी दवाई हूँ ।
कष्ट में काम आता हूँ न मैं मिठाई हूँ ।
स्वाद न आये तब भी निगल लेते हैं ।
काम बन जाए तो एक्सपायर कहकर फेंक देते हैं ।
मैं कई औरों के साथ मिलकर काम करता हूँ ।
कडवा हूँ पर मिठास दूसरों की जिंदगी में भरता हूँ ।
✍ विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र