Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2017 · 1 min read

दर किसी के बजी शहनाई है

जाम आंखों से यूँ पिलाई है
लूटने फिर मुझे वो आई है

गर सहारा नही दे सकता तू
तो मिटा दे मुझे दुहाई है

खाक करके गया मुझे जालिम
दर किसी के बजी शहनाई है

दूर मुझसे अगर मिले खुशियाँ
दिल मेरा तोड़ दे खुदाई है

किस तरह गैर हो गया मुझसे
सोचके आँख ये भर आईं है

अब नही है गिला किसी से भी
सब मेरे कर्मों की लिखाई है

हो गया शाख से जुदा अपने
यूँ तो कहने को अपना भाई है

मौज कैसे मियाँ मनाओगे
अब कहाँ बाप की कमाई है

कौन बेजार है मुहब्बत से
हर तरफ इश्क़ की रानाई है

है हिना की महक फिजाओं में
इश्क़ ने ली यूँ अंगराई है

ले लूँ आग़ोश में तुम्हे अपने
ऐ सनम तू मगर पराई है

आ छुपा लूँ तुम्हे मेरे हमदम
ये जहाँ तो बड़ी हरजाई है

मार डाले कहीं नही मुझको
लूटती हर घड़ी जुदाई है

– ‘अश्क़’



1 Like · 270 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*हिंदी की बिंदी भी रखती है गजब का दम 💪🏻*
*हिंदी की बिंदी भी रखती है गजब का दम 💪🏻*
Radhakishan R. Mundhra
दिवाली व होली में वार्तालाप
दिवाली व होली में वार्तालाप
Ram Krishan Rastogi
सफलता
सफलता
Paras Nath Jha
कैसे देखनी है...?!
कैसे देखनी है...?!
Srishty Bansal
बच्चे का संदेश
बच्चे का संदेश
Anjali Choubey
मांँ
मांँ
Neelam Sharma
पल पल का अस्तित्व
पल पल का अस्तित्व
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अम्बे भवानी
अम्बे भवानी
Mamta Rani
"तेरी यादें"
Dr. Kishan tandon kranti
Needs keep people together.
Needs keep people together.
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
Ranjeet kumar patre
*सबके मन में आस है, चलें अयोध्या धाम (कुंडलिया )*
*सबके मन में आस है, चलें अयोध्या धाम (कुंडलिया )*
Ravi Prakash
फितरत
फितरत
Dr fauzia Naseem shad
बाल कविता: तितली
बाल कविता: तितली
Rajesh Kumar Arjun
*गलतफहमी*
*गलतफहमी*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
ऐसा क्यों होता है..?
ऐसा क्यों होता है..?
Dr Manju Saini
प्रेम
प्रेम
Acharya Rama Nand Mandal
प्यार विश्वाश है इसमें कोई वादा नहीं होता!
प्यार विश्वाश है इसमें कोई वादा नहीं होता!
Diwakar Mahto
ग़ज़ल - ज़िंदगी इक फ़िल्म है -संदीप ठाकुर
ग़ज़ल - ज़िंदगी इक फ़िल्म है -संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
हम कितने चैतन्य
हम कितने चैतन्य
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
17. बेखबर
17. बेखबर
Rajeev Dutta
रास्ते  की  ठोकरों  को  मील   का  पत्थर     बनाता    चल
रास्ते की ठोकरों को मील का पत्थर बनाता चल
पूर्वार्थ
भारत माता के सच्चे सपूत
भारत माता के सच्चे सपूत
DR ARUN KUMAR SHASTRI
भुला भुला कर के भी नहीं भूल पाओगे,
भुला भुला कर के भी नहीं भूल पाओगे,
Buddha Prakash
2666.*पूर्णिका*
2666.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कबीर के राम
कबीर के राम
Shekhar Chandra Mitra
पीड़ाएं सही जाती हैं..
पीड़ाएं सही जाती हैं..
Priya Maithil
भजन
भजन
सुरेखा कादियान 'सृजना'
माँ काली
माँ काली
Sidhartha Mishra
Loading...