Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Apr 2023 · 1 min read

भुला भुला कर के भी नहीं भूल पाओगे,

भुला भुला कर के भी नहीं भूल पाओगे,
खुद ही भूला हुआ है इस जहांँ पर,
भूलना है तो उस गम को भूला दो,
जिस गम में भुला लिया है खुद को।

बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।

1 Like · 313 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Buddha Prakash
View all
You may also like:
छोटे बच्चों की ऊँची आवाज़ को माँ -बाप नज़रअंदाज़ कर देते हैं पर
छोटे बच्चों की ऊँची आवाज़ को माँ -बाप नज़रअंदाज़ कर देते हैं पर
DrLakshman Jha Parimal
साँप का जहर
साँप का जहर
मनोज कर्ण
*****हॄदय में राम*****
*****हॄदय में राम*****
Kavita Chouhan
घर के आंगन में
घर के आंगन में
Shivkumar Bilagrami
कुछ दर्द झलकते आँखों में,
कुछ दर्द झलकते आँखों में,
Neelam Sharma
आज रात कोजागरी....
आज रात कोजागरी....
डॉ.सीमा अग्रवाल
गुरु तेग बहादुर जी जन्म दिवस
गुरु तेग बहादुर जी जन्म दिवस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*॥ ॐ नमः शिवाय ॥*
*॥ ॐ नमः शिवाय ॥*
Radhakishan R. Mundhra
हमदम का साथ💕🤝
हमदम का साथ💕🤝
डॉ० रोहित कौशिक
Wakt ko thahra kar kisi mod par ,
Wakt ko thahra kar kisi mod par ,
Sakshi Tripathi
वक़्त की एक हद
वक़्त की एक हद
Dr fauzia Naseem shad
ईमान
ईमान
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
*भर ले खुद में ज्योति तू ,बन जा आत्म-प्रकाश (कुंडलिया)*
*भर ले खुद में ज्योति तू ,बन जा आत्म-प्रकाश (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
23/85.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/85.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
राधा की भक्ति
राधा की भक्ति
Dr. Upasana Pandey
कितनी बार शर्मिंदा हुआ जाए,
कितनी बार शर्मिंदा हुआ जाए,
ओनिका सेतिया 'अनु '
तुम भी 2000 के नोट की तरह निकले,
तुम भी 2000 के नोट की तरह निकले,
Vishal babu (vishu)
कजरी लोक गीत
कजरी लोक गीत
लक्ष्मी सिंह
जीवन चक्र
जीवन चक्र
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
अद्यावधि शिक्षा मां अनन्तपर्यन्तं नयति।
अद्यावधि शिक्षा मां अनन्तपर्यन्तं नयति।
शक्ति राव मणि
एक बेरोजगार शायर
एक बेरोजगार शायर
Shekhar Chandra Mitra
गुरु ही वर्ण गुरु ही संवाद ?🙏🙏
गुरु ही वर्ण गुरु ही संवाद ?🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
पहले क्यों तुमने, हमको अपने दिल से लगाया
पहले क्यों तुमने, हमको अपने दिल से लगाया
gurudeenverma198
#लघु_कविता-
#लघु_कविता-
*Author प्रणय प्रभात*
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
रिश्तों का बदलता स्वरूप
रिश्तों का बदलता स्वरूप
पूर्वार्थ
किसी की हिफाजत में,
किसी की हिफाजत में,
Dr. Man Mohan Krishna
तथागत प्रीत तुम्हारी है
तथागत प्रीत तुम्हारी है
Buddha Prakash
आसमानों को छूने की चाह में निकले थे
आसमानों को छूने की चाह में निकले थे
कवि दीपक बवेजा
हाय री गरीबी कैसी मेरा घर  टूटा है
हाय री गरीबी कैसी मेरा घर टूटा है
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...