दर्शन दऽ महतारी
#विधा_पद
(हे थावे वाली) दर्शन दऽ महतारी।
भक्त द्वार पर, आइल तहरी, बा बहुती दुखियारी।।
हाथ गदा त्रिशूल बा तहरी, सिंह हवे असवारी।
लाल चुनरिया चमचम चमके, अद्भुत रूप तिहारी।।
रोग शोक से हार गइल बा, संकट बा बड़ भारी।
भव सागर में नाव पड़लि हऽ, देतू पार उतारी।।
धरती पर से पाप मिटावऽ, दुष्ट दलन के मारी।
इहे आस विश्वास क साथे, आइल ‘सूर्य’ दुआरी।।
मैया मैहर वाली।
सिंहवाहिनी खप्पर वाली, तू ही दुर्गा काली।।
दर्शन खातिर अइनी हमहूँ, ले पूजा के थाली।
बालक हम नादान हईं माँ, करिहऽ तू रखवाली।।
माई की दुअरा से कबहूँ, भक्त न जाला खाली।
संकट में जब सेवक होला, मइया दउरल जाली।।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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