*दर्पण (बाल कविता)*
दर्पण (बाल कविता)
दर्पण में देखो मुख अपना
बचपन में बूढ़ापन सपना
जो जैसा है वही बताता
झूठ बोलना इसे न आता
दर्पण का मतलब सच्चाई
थोड़ा सीखो इससे भाई
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451