** दर्द सा उठता है धुंआ **
दिल में दर्द सा उठता है धुआं
आज तक गैर अपना ना हुआ
करते है हम मालिक से दुआ
कब सुधरेगा राज-राजनेता मुआ
रोज मरते है दे दे ईश्वर की दुआ
आज तक इनको कुछ ना हुआ।।
?मधुप बैरागी
बंदिशें बहुत है मगर अंगार अल्फाज रखते है
वक्त आने दो साथी तब तक सुलगा के रखते हैं।
?मधुप बैरागी
बदलना है जमाने को तो सोच को अपनी बदलो
जमाना खुद बदल जायेगा ज़रा सोच के तो देखो
?मधुप बैरागी