दर्द शहीद के परिवार का
छाती उस माँ की भी फ़टी होगी,
दुनिया उस बाप की भी लूटी होगी,
जिसका बेटा शहीद हो गया यहाँ।
चरणों को जब उसने छुआ होगा,
दर्द उस पत्नी को भी हुआ होगा,
जिसका पति शहीद हो गया यहाँ।
आँखें नम उस संतान की भी हुई होंगी,
दर्द की उसके तन मन में चुभी सुई होंगी,
जिसका बाप शहीद हो गया यहाँ।
ये किस मानवाधिकार आयोग के पास जाएँ,
कौन सुनेगा इनके दर्द को किस से आस लगाएँ,
जिनका सब कुछ शहीद हो गया यहाँ।
आंतकवादी में भटका इंसान नजर आ जाता है
पर इंसानों को मारता हैवान नजर नहीं आता है,
जिसके कारण कितने शहीद हो गए यहाँ।
शहादत पर घटिया ब्यान देने वाले भूल जाते हैं,
उन्हीं की वजह से हम रातों को चैन से सो पाते हैं,
जो हमारे लिए शहीद हो गए यहाँ।
मिले फुर्सत तो जाकर देखना दर्द उनका,
सुलक्षणा हो सके तो लिखना दर्द उनका,
जो हँसते हँसते शहीद हो गए यहाँ।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत