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11 Jun 2023 · 1 min read

दर्द भी शर्माते हैं

अपने फायदे के लिए,
खेला सबने हमारे जज्बातों के संग।
कार्य पूर्ण हो जाने पर,
ठोकरें मार दी हमें।
विश्वास किया जिस जिस पे,
पहले धोखा उन्होंने ही दिया।
जब तक संभालीं में अपने को,
हो गई तब तक देर बहुत।
मैं बेबस लाचार सिर्फ,
उतार सकीं क्रोध अपने ही ऊपर।
बिगड़ा उनका कुछ नहीं,
हमारा मनोबल तोड़ गए वे।
गम के अंधेरे खाईं में,
वे धकेल गए मुझे।
फिर भी हार नहीं मानी मैं,
अपने ही दिल से लड़ी मैं,
उस अंधेरे कुएं से,
अपने को ले आईं सुरज के रोशनी में।
क़ाबिल इतना बना दिया हमने अपने को,
अब,
दर्द भी पास आने से कतराते हैं,
वे भी हमसे शर्माते हैं।

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