Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jun 2023 · 1 min read

“चिराग”

रात भर जलता रहा घर मेरे चिराग,
खुद अंधेरों से जूझता रहा।

औरों को देता रोशनी,
खुद जलता रहा।

बहुत नही है अमीर चांद के आगे,
पर चांद भी चला जाता अमावस के हाथ मे।

छोटा चिराग माँगता रहा तेल बार-बार,
और खुद तपता रहा रात भर बार-बार।

चांद को तारों का भी साथ मिला,
पर चिराग रात में तन्हा ही रह गया।

चाँद को मिलती रही चांदनी रात भर,
पर चिराग को कालिमा मिलती रही।

दिल के बड़े हैं चिराग,
जो बुझ-बुझ के भी जलते रहें।

लौ भले बुझते रहे,
पर आंधी तूफ़ां से लड़ते रहे।

लेखिका:- एकता श्रीवास्तव।
प्रयागराज✍️

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 363 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तुम्हारा इक ख्याल ही काफ़ी है
तुम्हारा इक ख्याल ही काफ़ी है
Aarti sirsat
■ कविता
■ कविता
*Author प्रणय प्रभात*
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
23/125.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/125.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
बेपरवाह खुशमिज़ाज़ पंछी
बेपरवाह खुशमिज़ाज़ पंछी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
राजा यह फल का हुआ, कहलाता है आम (कुंडलिया)
राजा यह फल का हुआ, कहलाता है आम (कुंडलिया)
Ravi Prakash
সিগারেট নেশা ছিল না
সিগারেট নেশা ছিল না
Sakhawat Jisan
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
MEENU
जो समय सम्मुख हमारे आज है।
जो समय सम्मुख हमारे आज है।
surenderpal vaidya
संस्कारधर्मी न्याय तुला पर
संस्कारधर्मी न्याय तुला पर
Dr MusafiR BaithA
- अपनो का स्वार्थीपन -
- अपनो का स्वार्थीपन -
bharat gehlot
नववर्ष-अभिनंदन
नववर्ष-अभिनंदन
Kanchan Khanna
तुम्हारी बेवफाई देखकर अच्छा लगा
तुम्हारी बेवफाई देखकर अच्छा लगा
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
चुन लेना राह से काँटे
चुन लेना राह से काँटे
Kavita Chouhan
गुलामी के कारण
गुलामी के कारण
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
मुझको बे'चैनियाँ जगा बैठी
मुझको बे'चैनियाँ जगा बैठी
Dr fauzia Naseem shad
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"जब"
Dr. Kishan tandon kranti
पेड़ काट निर्मित किए, घुटन भरे बहु भौन।
पेड़ काट निर्मित किए, घुटन भरे बहु भौन।
विमला महरिया मौज
बदलता भारत
बदलता भारत
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
बेख़ौफ़ क़लम
बेख़ौफ़ क़लम
Shekhar Chandra Mitra
सोई गहरी नींदों में
सोई गहरी नींदों में
Anju ( Ojhal )
मैं आखिर उदास क्यों होउँ
मैं आखिर उदास क्यों होउँ
DrLakshman Jha Parimal
साजन तुम आ जाना...
साजन तुम आ जाना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
Shubham Pandey (S P)
राष्ट्र भाषा राज भाषा
राष्ट्र भाषा राज भाषा
Dinesh Gupta
"We are a generation where alcohol is turned into cold drink
पूर्वार्थ
*चाँद को भी क़बूल है*
*चाँद को भी क़बूल है*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
गुमनाम ही रहने दो
गुमनाम ही रहने दो
VINOD CHAUHAN
Loading...