दर्द ने
दर्द ने मेरे दिल को है ऐसे छुआ।
दुख रहा है बहुत यार क्या है हुआ।
कोई भी दिखता है न अपना यहां,
कौन देगा मेरी धड़कनों को दुआ।
मैं परेशान हूँ रुक न जाए कहीं।
काश रुक जाने की रुत आए नहीं।
न जाने क्यों गम है मेरे पीछे पड़ा,
काम ऐसा न किया के कोई दे बददुआ।
कौन देगा मेरी धड़कनों को दुआ।
दिल का ये मामला बड़ा संगीन है।
अंदर ही अंदर बड़ा गमगीन है।
बाजी हारेंगे जीतेंगे कुछ न पता,
जिंदगी है जुआ जिंदगी है जुआ।
कौन देगा मेरी धड़कनों को दुआ।
इल्जामों की झड़ी मेरे ऊपर लगी।
वक्त हुआ न सगा न किस्मत सगी।
सोच अच्छी लिए देखता रह गया,
जिन्दगी का बहुत ही तमाशा हुआ।
कौन देगा मेरी धड़कनों को दुआ।
-सिद्धार्थ