दर्द जब हद से गुज़र जाएगा
दर्द जब हद से गुजर जाएगा,
दिल यह फिर कैसे सह पाएगा।
पीर पर्वत सी मेरी,
मन यह दर्द अब किसे सुनाएगा।
मेरा दर्द सुनके सभी,
बचकर निकलने लगे।
कौन हमदम है मेरा साथ जो निभाएगा।
हमने मुश्किलों से खुद को यूं संभाला है।
देके यूं अपना लहू जिनको कल पाला है।
रेखा अपनों से भला कोई कैसे यूं लड़ पाएगा।
दर्द जब हद से गुज़र जाएगा।