दर्द के दरिया में
तुम और मैं
हम दोनों
हम सब एक ही हैं
तुम्हारी खुशी का अहसास है
मुझे
तुम्हारे दर्द से गुजरने का
आभास है
मुझे
सूरज की आग में
कोई कुछ ज्यादा जलता है तो
कोई थोड़ा कम लेकिन
जलने से जो होती है
पीड़ा
उसका अनुभव है मुझे
दर्द के दरिया में हम सब
बह रहे हैं
कोई थोड़ा आगे तो
कोई थोड़ा पीछे
कोई मझधार में तो
कोई किनारे
बड़े ही भाग्यशाली होते हैं
वह लोग
जिनके पास पार लगने के लिए
कोई किश्ती होती है और
उन्हें किनारे पहुंचाती है
जब किस्मत साथ नहीं देती तो
ऐसा भी होता है
बिजली ऐसी भी टूटकर गिरती है
किसी कहर की तरह कि
एक लहर आती है और
किश्ती जो किनारे तक
अपने ठिकाने तक
पहुंचने ही वाली होती है को
डूबा देती है और
कई दफा
किस्मत अच्छी हो तो
एक भयावह तूफान की लहर
किश्ती को धक्का देकर
मझधार से बाहर निकालकर
सारी उम्मीद खोने पर भी
किनारे पर सही सलामत पहुंचा
देती है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001