“दर्द की महक”
“दर्द की महक”
दर्द दिल में रहकर
आँखों से है बरसते,
कहीं देखा है आपने
कभी दर्द को मरते?
दुनिया के बाजार में
बस दर्द नहीं बिकता है,
दिल के दरिया से
रह-रह कर रिसता है।
“दर्द की महक”
दर्द दिल में रहकर
आँखों से है बरसते,
कहीं देखा है आपने
कभी दर्द को मरते?
दुनिया के बाजार में
बस दर्द नहीं बिकता है,
दिल के दरिया से
रह-रह कर रिसता है।