दर्द का अहसास
ऐ खुदा हवाओं का रुख थोड़ा उनकी ओर मोड़ देना
बेचैन हैं वो अब सुकून का पल थोड़ा दे देना
हवाओं के साथ बारिश की बूंदे भी अब लेे जाना
लगी है कहीं पे आग उनकी थोड़ा बुंदबांदी भी कर देना
रूह भी तड़प रही उनकी जिस्म पे लगी है आग आज
ख़ामोश खड़े हैं वो मगर दिल मेरा ही झुलस पड़ा
हवाओं में उनकी खुशियों का इत्र थोड़ा घोल देना
मेरी प्रेम की यही अब पैगाम सुना देना
लौट कर आना जब भी दर्द बटोर लेे आना उनकी
भावविभोर हो जाये ऐसा कोई राग उनको सुना देना
प्रेम की कैसी रीत तूने बनायी
दर्द में वो हैं मगर आंखों में मेरे सागर छलक है आयी
ऐ खुदा हवाओं का रुख थोड़ा उनकी ओर मोड़ देना
बेचैन हैं वो अब सुकून का पल थोड़ा दे देना
— Prabha Nirala