दर्द: एक ग़म-ख़्वार
हर रोज खोजता हूँ तुम्हें
कहाँ-कहाँ नहीं खोजा तुम्हें,
पता भी है?
हर तरफ खोजा तुम्हें |
तू न मिली दिल को तो क्या हुआ?
एक दर्द तो मिला…..
अब तो दर्द को ही
अपना रश्क-ए-क़मर मान लिया मैंने……
हर रोज खोजता हूँ तुम्हें
कहाँ-कहाँ नहीं खोजा तुम्हें,
पता भी है?
हर तरफ खोजा तुम्हें |
तू न मिली दिल को तो क्या हुआ?
एक दर्द तो मिला…..
अब तो दर्द को ही
अपना रश्क-ए-क़मर मान लिया मैंने……