दर्द अब थम नही रहा
दर्द सहने का अब दम नही रहा
और यह दर्द है कि थम नही रहा
इतने सारे ग़म जो एक साथ मिले
किसी बात का अब ग़म नही रहा
मैं सारे इल्ज़ाम उस पे क्यूँ लगा दूँ
क़ुसूर मेरा भी कुछ कम नही रहा
हवाएँ ख़िलाफ़त की चलने लगीं ‘अर्श’
अब तो मिलने का मौसम नही रहा