दरीचे
दरीचे (खिड़कियां) खोल कर
अक्सर ये अहसास होती है
की हवाओं का यू बहना और
बहते हुए चेहरे को छुना
कितनी मुतमईन है
कभी जब कमरों में रोशनी न आए
बैठा करना किसी कमरे की
आयत दरीचे पे और
महसूस करना आबो हवाओं को
@ दुर्गेश साहू
दरीचे (खिड़कियां) खोल कर
अक्सर ये अहसास होती है
की हवाओं का यू बहना और
बहते हुए चेहरे को छुना
कितनी मुतमईन है
कभी जब कमरों में रोशनी न आए
बैठा करना किसी कमरे की
आयत दरीचे पे और
महसूस करना आबो हवाओं को
@ दुर्गेश साहू