दरिया में गिरकर एक पत्ता
एक दरख्त की शाख से
दरिया में गिरकर
एक पत्ता
उसके पानी के संग संग बह रहा
एक किश्ती की तरह
बिना माझी
बिना पतवार
यह साथ क्षणिक है या
कुछ पल का या
सांझ के सूरज के ढलने तक का
घोर अंधकार में
फिर कौन किसको देख
पायेगा कि
कौन किसके साथ बह रहा या
किस मोड़ पर फिर किसका हाथ
छूट रहा।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001