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27 Sep 2021 · 1 min read

दया धर्मस्य सार अछि

दया धर्मस्य सार अछि
जिनगी आधार अछि
मानवस्य विस्तार अछि

•••
________________________
*तीन पंक्तियों में रचा जनक छन्द। सबसे सहज प्रवाह के लिए जाना जाता है। यह दोहे के प्रथम चरण (13 मात्राओं) के तीन सममात्रिक चरणों का छंद है। 11वीं मात्रा अनिवार्य रूप से तीनों चरणों में लघु रहेगी।

Language: Maithili
2 Likes · 280 Views
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
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