Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2021 · 1 min read

दग्ध हुई वसुधा उर की……!!

विधा:- गीत
दिनांक:- २/०९/२०२१
दिवस:- गुरुवार
____________________________________________
दूर पिया सुधि लेत नहीं,
किससे सजनी यह बात बखाने।
दग्ध हुई वसुधा उर की,
हिय आज उन्हें बस निष्ठुर माने।।

छोड़ि गये किस कारण से अब ढूंढ रही अँखियाँ दिन राती।
भूल गये परदेश बसे यह सोच सदा धड़के निज छाती।
कारन कौन जु पात पढ़ी नहि लाख लिखी पिय को प्रिय पाती।
भेज रही खत रक्त सनी बस मान यही अब अंतिम थाती।।

शूल चुभे मन कम्पित है,
तन साजन देश तजे हठ ठाने।
दग्ध हुई वसुधा उर की,
हिय आज उन्हें बस निष्ठुर माने।।

देख दशा हिय की सजना सच पागल सी दिन-रात रहूं मैं।
नैन बसा छवि नित्य सतावत सोवत जागत पंथ गहूं मैं।
भेज रही खत पीर भरा अब कौन विधा यह घात सहूं मैं।
सोच रही पिय से मिल लूं उर से उर की कछु बात कहूं मैं।।

भूख मिटा अरु प्यास गई,
मन साजन को खलनायक जाने।
दग्ध हुई वसुधा उर की,
हिय आज उन्हें बस निष्ठुर माने।।

उत्तर – दक्खिन पूरब – पश्चिम साजन को अब ढूंढत नैना।
धाम मिला गर बालम का उनसे मिलकै मिलिबै हिय चैना।
पात लिखी यह बोल सखी अब आप बिना यह जीवन छैना।
आन मिलो शुभ ही शुभ से तव टोह रही मृदु मोहक रैना।।

भृंग बने पिय डोल रहे,
पर का कबहूँ हमका पहिचाने।
दग्ध हुई वसुधा उर की,
हिय आज उन्हें बस निष्ठुर माने।।

घोषणा:- यह रचना पूर्णतः स्वरचित, स्वप्रमाणित एवं मौलिक है

✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा ( मंशानगर ), पश्चिमी चम्पारण, बिहार

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 1059 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
तन तो केवल एक है,
तन तो केवल एक है,
sushil sarna
मैं हिंदी में इस लिए बात करता हूं क्योंकि मेरी भाषा ही मेरे
मैं हिंदी में इस लिए बात करता हूं क्योंकि मेरी भाषा ही मेरे
Rj Anand Prajapati
हिंदी दोहा- अर्चना
हिंदी दोहा- अर्चना
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हिन्द के बेटे
हिन्द के बेटे
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
"सुपारी"
Dr. Kishan tandon kranti
सवाल ये नहीं
सवाल ये नहीं
Dr fauzia Naseem shad
फितरत
फितरत
umesh mehra
■ बेबी नज़्म...
■ बेबी नज़्म...
*Author प्रणय प्रभात*
जो हैं आज अपनें..
जो हैं आज अपनें..
Srishty Bansal
चैन से जी पाते नहीं,ख्वाबों को ढोते-ढोते
चैन से जी पाते नहीं,ख्वाबों को ढोते-ढोते
मनोज कर्ण
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
दिये को रोशननाने में रात लग गई
दिये को रोशननाने में रात लग गई
कवि दीपक बवेजा
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
🚩पिता
🚩पिता
Pt. Brajesh Kumar Nayak
हे नाथ आपकी परम कृपा से, उत्तम योनि पाई है।
हे नाथ आपकी परम कृपा से, उत्तम योनि पाई है।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
पेड़ से कौन बाते करता है ?
पेड़ से कौन बाते करता है ?
Buddha Prakash
लग रहा है बिछा है सूरज... यूँ
लग रहा है बिछा है सूरज... यूँ
Shweta Soni
जब सूरज एक महीने आकाश में ठहर गया, चलना भूल गया! / Pawan Prajapati
जब सूरज एक महीने आकाश में ठहर गया, चलना भूल गया! / Pawan Prajapati
Dr MusafiR BaithA
জীবনের অর্থ এক এক জনের কাছে এক এক রকম। জীবনের অর্থ হল আপনার
জীবনের অর্থ এক এক জনের কাছে এক এক রকম। জীবনের অর্থ হল আপনার
Sakhawat Jisan
पल भर की खुशी में गम
पल भर की खुशी में गम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
नहीं हूँ अब मैं
नहीं हूँ अब मैं
gurudeenverma198
कह कोई ग़ज़ल
कह कोई ग़ज़ल
Shekhar Chandra Mitra
यदि आप सकारात्मक नजरिया रखते हैं और हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प
यदि आप सकारात्मक नजरिया रखते हैं और हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प
पूर्वार्थ
*गाते हैं जो गीत तेरे वंदनीय भारत मॉं (घनाक्षरी: सिंह विलोकि
*गाते हैं जो गीत तेरे वंदनीय भारत मॉं (घनाक्षरी: सिंह विलोकि
Ravi Prakash
*अविश्वसनीय*
*अविश्वसनीय*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
2676.*पूर्णिका*
2676.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
“फेसबूक का व्यक्तित्व”
“फेसबूक का व्यक्तित्व”
DrLakshman Jha Parimal
आहटें तेरे एहसास की हवाओं के साथ चली आती हैं,
आहटें तेरे एहसास की हवाओं के साथ चली आती हैं,
Manisha Manjari
अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्ण
अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्ण
Rituraj shivem verma
SC/ST HELPLINE NUMBER 14566
SC/ST HELPLINE NUMBER 14566
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
Loading...