थोड़ा और गहरे उतरा जाये
थोड़ा और गहरे उतरा जाये
तब जाकर इश्क में डूबा जाये
लफ़्ज़ों में शामिल अहसासों को
महसूस करूँ तो समझा जाये
है ज़रूरी ये कोरे काग़ज़ पर
जो सोचा है, वो लिक्खा जाये
ये मुमकिन तो नहीं चाहत में
जो दिल चाहे वो मिलता जाये
सोच रहा हूँ काबू में अपने
जज्बात को कैसे रक्खा जाये