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26 Dec 2021 · 1 min read

थोडा सा बढ़ जाता है

हर एक दिन घट जाता हैं
तू थोडा सा बढ़ जाता है
सोचता है बड़ा हो रहा हूँ
पर तेरे दिन कम हो रहे है

रोज तैनात अपने काम पर
फिर भी सकून को खोता है
मुँह की हँसी हो गई गायब
बस कर्तव्यों की गठरी ढोता
ऐसे हर एक दिन बढ़ जाता
तू थोडा सा बढ़ जाता है

नित्य कर्म से हो कर निवृत
फिर नव निर्माण को तैयार
खूब खटता है दिन भर जब
करे तब सपने को साकार
ऐसे ही प्रति पल बढ़ जाता
तू थोडा सा बढ़ जाता है

Language: Hindi
79 Likes · 509 Views
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