थोड़ी है
(राहत इंदौरी से प्रेरणा लेते हुए)
सिर्फ एक जानवर के गोश्त को
अपने धरम के विरुद्ध खाते में,
डाल रखा है उन्होंने
गौपूँछ पकड़
अपने परलोक को संवारने के लालच में,
और, लोकतंत्र-सिद्ध अधिकार तुम्हारा छीन रखा है
कोई भी स्वाद पाने का,
लोकतंत्र की सत्ताई कुर्सी पर चढ़
सयाना वह, बेचारा
थोड़ी है
उन्हें फ़िक्र हो आई है नए पर
मुसलमान औरतों के हक़ की
ईमान को अपने नया धरातल दिया है मगर फुक्का,
हिंदुआना एजेंडा-ईमान अपना,
उन्होंने बदला
थोड़ी है।
तीन तलाक़ की पाबंदी पर जो लगी है आला कोर्ट की मुहर,
उसमें रिसीविंग एंड पर मुसलमान मर्द हैं, सही, महज़,
उनकी औरतों के ग़म कमे
थोड़ी है!
जिन्होंने स्त्री गर्भ से निकाल तुम्हारे बच्चों को
भाले की नोंक पर झोंका गुजरात नरसंहार रच
वे तेरे लिए दरियादिल हुए हैं, संभलो
ये घड़ियाली आँसू से लिपटा कपट प्यार अलग
थोड़ी है
इलेक्शन में जिन्होंने
न तेरे वोट की की फ़िकर नुमाइंदगी देने की,
वो यकबयक तेरे हो जाएंगे,
होता ऐसा
थोड़ी है।