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23 Sep 2019 · 2 min read

थूक का महत्व

मुँह में जो लार है थूक उसे हम कहते हैं
खूले में जो थूकते तो लोग उसे सहते हैं
समय और स्थान का थूक पर प्रभाव है
परिस्थितिवश थूक का अर्थ में बदलाव है
सार्वजनिक जो थूकें बदतमीज कहलाएँ
पर्दें में जो थूकता, शिष्टाचारी है कहलाएँ
भरी सभा बीच थूकता अशिष्ट है कहलाए
डिब्बी में जो थूकता है भद्रपुरुष कहलाए
किसी को देख जो थूके उसका भी अर्थ है
उस थूक से उसको चिड़ भड़काना अर्थ है
बार बार थूकना भी घबराहट का प्रतीक है
थूक कर चाटना बात मुकरने का संकेत है
थुकता नहीं तुझ पर यह कथन अनमोल है
उस के द्वारा नहीं दर्शन करने की खोल है
धोखा देना अर्थ थूक लगाने वाली बात है
कोई अगर बच गया तो मजे वाली बात है
थूक के जहाँ में के फायदे भी तो अनेक हैं
कोशिश करो ढूँढने की तो मिलते अनेक हैं
थूक बिन सूईं मे धागा पिरोना मुश्किल है
थूक बिन पैर लगा कांटा ढूँढना मुश्किल है
सुबह जब उठते ही आँखें नहीं खुलती हो
परीक्षा के दिनों म़े जब आँखें ना जगती हो
देवी देवता पूजा अर्चना में जब सुस्ती हो
थूक के प्रयोग से ही सोई आँखें जगती है
अधिकारी चाहे बुरा माने यह बात देखता है
ग्राहक थूक से ही चिपके नोट भी गिनता है
कोई चीज जब फँस जाए थूक से खुलती है
मुँह द्वारा खाई जो चीज थूक से ही पचती हैं
आँख में फँसी चीज थूक से ही निकलती है
धुँधली हो कोई चीज थूक से ही चमखती है
अब तो समझ जाओ कब से समझा रहा हूँ
थूक बुरी नहीं अच्छी है यही बतला रहा हूँ

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
1056 Views
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