*थिरकना चाहता हूँ मैं, न मुझको और तरसाओ (आध्यात्मिक हिंदी गजल/ गीतिका)*
थिरकना चाहता हूँ मैं, न मुझको और तरसाओ (आध्यात्मिक हिंदी गजल/ गीतिका)
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1
थिरकना चाहता हूँ मैं, न मुझको और तरसाओ
तुम्हारी बाँह में मैं, बाँह में तुम मेरी आ जाओ
2
हमारे बीच में सदियों पुराने कोई रिश्ते हैं
तुम्हें कुछ याद आऍं तो,जरा मुझको भी बतलाओ
3
पुरानी याद कहती है, मिले थे हम कभी तुमसे
कहाँ बिछड़े मगर थे हम, उसे तो याद करवाओ
4
तुम्हारे रूप का जादू हजारों बार देखा है
किसी दिन चेहरा भी तो, मुझे तुम अपना दिखलाओ
5
चलो दुनिया की नजरों से कहीं हम दूर चलते हैं
जहाँ तुम सिर्फ मेरे, सिर्फ मेरे, सिर्फ कहलाओ
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451