था जाना एक दिन
था जाना एक दिन
मुझको यहां सब छोड़ के
किन्तु मै न जा सका
दिल तुम्हारा तोड़ के।
तेरी चाहत मे मै, फस
गया था इस कदर
देख कर भी रह गया
गिनता रहा दिन के गदर।
भूल गया था हूं प्रवासी
मै किसी परदेश का
करने आया हूं पालन
मै किसी आदेश का।
सो गया था मोह, तृष्णा
की , मैं चादर ओढ़ के
इस लिए न जा सका
प्यार से मुख मोड़ के।