थपकियाँ दे दे के यादों को सुला देते हैं
थपकियाँ दे दे के यादों को सुला देते हैं
आंखों आंखों में यूँ रातों को बिता देते हैं
भूल पाये न हम उनको हैं जुदा होकर भी
दूर हैं उनसे मगर दिल में दुआ देते हैं
जान अपनी वो लगा देते हराने में हमें
मुस्कुरा के ही उन्हें हम तो जला देते हैं
दर्द कहते न किसी से भी हमारे ये लब
आंखों के आँसू मगर हमको दगा देते हैं
हार के घिरते अँधेरे हैं अगर राहों में
हम वहां आस का इक दीप जला देते हैं
इश्क की कोई दवा देते नहीं चारागर
‘अर्चना ‘लोग भी दीवाना बता देते हैं
22-10-2018
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद