त्योहारी मौसम
हमारे देश में, हमारी संस्कृति और परम्पराओं में
तीज त्योहारों की लंबी श्रृंखला है
त्योहारों का आना जाना निरंतर लगा ही रहता है,
गणतंत्र दिवस, होली, रामनवमी के बाद
अभी अभी मजदूर दिवस बीता हुआ।
बसंत पंचमी का भी आनंद हम सबने लिया।
स्वतंत्रता दिवस, रक्षाबंधन, दशहरा, दिवाली, छट्ठपर्व
गणेश चतुर्थी, दुर्गा पूजा, क्रिसमस आगे आने वाला है।
ईद, मोहर्रम आदि भी इसमें शामिल है।
त्योहारों का यह अटूट क्रम चलता ही रहता है
हमारे जीवन से त्योहारों का अटूट रिश्ता है
अन्यथा हमारा जीवन हमेशा मुरझाया ही रहता
और जीवन के हर हिस्से से
त्योहारों के आगमन की खुशी
और उम्मीदों भरा इंतजार जब न होता,
तब प्राण होते हुए भी ये जीवन निष्प्राण सा लगता।
जैसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में चुनाव भी
महत्वपूर्ण त्योहार जैसा है।
त्योहारों की छाया में
जातिधर्म मजहब की दीवार गिरती है,
ऊंच नीच का भेद भी त्योहार मिटाती है।
त्योहारों का रंग बहुरंगी होता है,
आप माने या न माने क्या फर्क पड़ता है,
पर मैं तो यही कहूंगा कि त्योहारों के बिना
हमारे जीवन का रंग बदरंग हो जायेगा
जीवन का आधार तब खोखला हो जायेगा,
जब त्योहारों का आना जाना नहीं होगा
हमारा आपका ही नहीं धरती का भी जीवन
नितान्त रेगिस्तान बन जाएगा।
हमारे जीने का हर मकसद
महज कल कारखाना बन कर रह जाएगा,
जीवन का वास्तविक आनंद खो जाएगा।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश