तो कुछ और बात होती
हमको अगर मिलता मोहब्बत में ज़रा सा भी इशारा तो कुछ और बात होती।
डूब रही थी नैय्या, मिल जाता अगर किनारा तो कुछ और बात होती।
अंधेरा था फैला हुआ चारों तरफ़, झिलमिलाता कोई सितारा तो कुछ और बात होती।
बेघर था मुसाफिर, बेचैन घूम रहा था, मिल जाता उसे कोई सहारा तो कुछ और बात होती।
यूं न होते हम अकेले जिंदगी के सफर में, अगर आके थाम लेता कोई हाथ हमारा तो कुछ और बात होती।