“तो इतना काफ़ी है”
कविता-23
बहुत सी बातें करने को जी चाहता है मेरा ,
पर तुम्हें नींद जल्दी आ जाती है ,
लेकिन तुम थोड़ा बात करती हो ना
तो इतना काफी है ।
मेरे लफ्जो से मन की उदासी जान जाती हो ,
मेरे जज्बातों को समझती हो ना
तो इतना काफी है ।
तुम मेरे साथ नहीं रहती हो ,
पर साथ हो मेरे, एहसास होता है ना
तो इतना काफी है ।
मन करता है तुम्हें देखने का पर
हर पल तुम्हें देख नहीं पाता हूँ ,
पर तुम वीडियो कॉल करती हो ना
तो इतना काफी है ।
तुम मेरी हमदर्द नहीं बन पाती हो ,
पर अच्छे से रहने को कहती हो ना
तो इतना काफी है।