तोहर प्रेमक दीप जरैय सगरे दिनु राति(कविता)
तोहर प्रेमक दीप जरैय सगरे दिनु राति
हम तोहर प्रेम रस सँ भीजल प्रणयी
दिपक बिनु होय कोनो जलैत बाति
काल्हि कहला अप्पन हिय रानी
पथ जिनगी ओझल तोरा बिना पाबि
हाय रे छन भरि मे नोर नै पोछ पाबि
केतक व्याकुल छी
प्यार आओर स्नेहक पियासल छी
कतह जाउ,वीरन मे केना जाउ
गिद्ध देखलि अतह सगरे केना जाउ
हाय रे नै पियार करू,ऐहने मरि जाउ
कि अतह पेलौं हम
प्यार आओर स्नेहक पियासल छी
कहता केओ पियार अनमोल बढ़ी
तोँ पैघ,हम कुलअछनी बढि भारि
हाय रे दुनियाँ मौत सँ जिनगी भारि
ठिठुरल हम छी
प्यार आओर स्नेहक पियासल छी
बाबू मा जिनगीक अभिमान रहि
टूटि खसल लाली बनलि कारी
हा रे छमकत मन पोताइल कारी
हम समाज सँ बारल छी
प्यार आओर स्नेहक पियासल छी
तोहर प्रेमक दीप जरैय सगरे दिनु राति
हम तोहर प्रेम रस सँ भीजल प्रणयी
दिपक बिनु होय कोनो जलैत बाति
मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य