तोड़ें नफ़रत की सीमाएं
कैद हुई गुनगुनी धूप,कैद सुगंधित मस्त हवाएं
कैद बसंत सुरम्य वादियां, आसमान सुरमई सदाएं
कैद हो गए झुंड चिड़ियों के, और सांस्कृतिक संरचनाएं
फूल चांद तारों का खिलना, नैतिक मूल्य और मान्यताएं
धर्म और मजहब की आड़ में, खींची नफ़रत की सीमाएं
बंट गया देश आपस की फूट में,कैद हुईं सब परमपराएं
आओ मिलकर भूल सुधारें,आओ देश अखंड बनाएं
आजादी का अमृत पान करें, फिर से भारत बर्ष बनाएं
प्रेम प्रीत मैत्री पर चलकर, तोड़ें नफ़रत की सीमाएं
आजादी के अमृत बर्ष में, अंतर्मन कर रहा दुआएं