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21 Oct 2019 · 1 min read

तेह़रीक़

सारी क़ायनात होगी क़दमो पर जब हालातों से न समझौता होगा।
कामयाबी सर चढ़ के बोलेगी गर ख़िलाफे ज़लालत बग़ावते ज़ुनून होगा।
वक्त भी बदलेगा ग़र श़िद्दत से वक्त बदलने का हौसला होगा।
झूट का साथ छोड़ हक़ीकत का दाम़न थामकर आगे बढ़ना होगा।
छोड़ खुदगर्ज़ी इन्सानियत की आवाज़ को बुलंद करना होगा।
ज़िन्दगी को खुश़गवार बनाने का हुनर सीख ज़िन्दादिली से जीना होगा।

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