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29 May 2021 · 1 min read

#तेवरी – बरसात

नीलगगन में मेघ घिर , ले आए बरसात।
बरस-बरस हर्षा रही , मन भाए बरसात।।

काग़ज़ की कश्ती चली , पानी ऊपर बैठ।
बचपन की है ये कला , उर छाए बरसात।।

मनमयूर हर नाचता , करके झूमे शोर।
घर से बाहर खींचकर , नहलाए बरसात।।

मुख पर हर मुस्क़ान है , रोमांचित भू-लोक।
ख़ुशियाँ सबको दे रही , दर जाए बरसात।।

पीहू-पीहू मोर की , झन-झन झींगुर शोर।
टर-टर दादुर हो रही , करवाए बरसात।।

पी-पी बोले पपिहरा , मधुर सुरीले बोल।
पीता पहली बूँद को , दे पाए बरसात।।

हरी-भरी धरती हुयी , भरे नदी तालाब।
झरने पर्वत से बहें , सुख गाए बरसात।।

#आर.एस.’प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित रचना(C)

3 Likes · 4 Comments · 644 Views
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