तेरे सिंदूर की शहादत का, दर्द नहीं मिट रहे हैं…
ढूँढ रहा हूँ शब्द,
नहीं मिल रहे हैं,
आँसू तो मिल रहे हैं,
व्यक्त कर सकूँ कुछ,
हौंसला नहीं मिल रहे हैं,
कीर्ति में स्मृति अब शेष है,
मंजू की दुनिया के,
अंशुमान नहीं मिल रहे,
बेटी तेरी वेदना की तड़प,
है हर दिल में,
तेरे सिंदूर की शहादत का,
दर्द नहीं मिट रहे हैं…
मेरी कलम से…
आनन्द कुमार
जितनी बार तस्वीर आँखों के सामने आ रही है हर बार नम कर दे रही है।