” —————————————- तेरे सदके बहार आइ है ” !
मैंने जब जब भी चोंट खाइ है !
मां तेरी याद मुझको आइ है !!
तूने चलना सिखाया राहों पर ,
में जो सम्भला तू मुस्कराई है !!
वो टपकना छतों का रातों को ,
तेरे दम पे ही सुबह पाइ है !!
भूखे रह के खिलाया जी भर है ,
तेरी रहमत तो करिश्माई है !!
खारे आंसू मिले बने मोती ,
तेरे सदके बहार आई है !!
मेरी चाहत हंसी रहे कायम ,
तू हँसे दुनिया मुस्कराई है !!
तेरा साया रहे सलामत बस ,
मेरे रब तुझसे आशनाइ है !!
बृज व्यास