तेरे प्यार का अहसास मुझको मुक्त करता है
बड़ी फुरसत से ख़ुदा ने तेरी सूरत बनायी है
तभी तो तूने सूरत में ख़ुदा का नूर पायी है।
मेरी हर सुबह तेरी इबादत से शुरू होती
पर शाम का अँधियारा मेरी वेदना जगा देती।
न मैं तेरा न तू मेरी तो क्यूँ इंतजार करता हूँ
बस तेरी ही चाहत में क्यूँ जगता और सोता हूँ।
जब मेरे ह्रदय के स्पंदन में ही तू बसी सी है
फिर भी मेरे जीवन में क्यूँ तेरी कमी सी है।
पर तेरे प्यार का अहसास मुझको मुक्त करता है
सभी की वेदना से ये मुझे सहयुक्त करता है।