तेरे नाम का
2122 2122 2122 212
गुनगुनाती है बहारें जिक्र तेरे नाम का।
जान जाता हूं जहां भी जिक्र तेरे नाम का।
दिल धड़कता है मिरा पर सांस गाती है तुझे
दिल बसा तुझ को लिया हर सांस तेरे नाम का।
यह कहानी है पुरानी इश्क़ के इस राह पर
रास्ते मेरे मगर है साथ तेरे नाम का।
चैन तुमको नींद तुमको हर खुशी तुम को मिले
पर हिफाजत में रहे यह इश्क़ तेरे नाम का ।
हम रहें या ना रहें पर ख़्वाब को रखना सलामत
हार कर मैंने लिखा है जीत तेरे नाम का।
जो सजा चाहो मुझे दो ये गुनाहें हैं मगर
उम्रभर दीपक किया गुण गान तेरे नाम का।
दीपक झा रुद्रा