{{ तेरे नाम का श्रृंगार करते है हम }}
तेरी शायरी का हर लब्ज़ झूठा है फिर भी,
तेरी हर झूठ का यक़ीन करते है हम।
तुमने सिर्फ मेरी खूबसूरत चेहरा ही देखा है,
तुमने देखा नही एक खूबसूरत दिल भी रखते है हम।
मुझसे छूट कर तू हो गया किसी और का,
देखो आज भी तेरे नाम का श्रृंगार करते है हम।
मेरी कमियां निकालते थकते नही थे तुम,
हर महफ़िल में एक तेरी ही तारीफ़ करते है हम।
तेरी खुशबू मेरे ज़हन में कुछ ऐसे बस गई,
इत्र की कमी महसूस नही करते है हम।
रूठने का दिल करता है मेरा भी कभी कभी,
कौन मनाएगा ये सोच नही रूठा करते है हम।
चलो ये भी अच्छा हैं के तू अब मेरा नही है,
तेरे अलावा कहाँ अपना भी सोचा करते है हम।
बहुत हिफ़ाज़त से इश्क़ करता है वो,
इसलिए कदमो के निशा मिटा दिया करते है हम।
बहुत मोहब्बत कर लिया है मैंने तुमसे,
चलो अब खुद से भी कुछ मोहब्बत करते है हम।
समुंद्र के पास अथाह पानी और वो प्यासा है,
उसी समुंद्र से प्यास बुझाया करते है हम।
दिल मेरा और गुलामी तेरी करता है,
जबकि पहलू में छुपा के रखा करते है हम।