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1 May 2024 · 1 min read

तेरे दर पर

मैं तेरे दर पर बैठा हूँ,
मुझे तू भगा नहीं देना।
मैं तेरा बना रहूँ रक्षक,
मुझे तू दगा नहीं देना।।

मैं तेरी फिक्र करता हूँ,
मेरा तू जिक्र न करना।
मैं कैसा हूँ कभी इस बात की,
तू तो फिक्र न करना।।

मैं जबतक हूँ मुझे तबतक,
तू अपना ही समझना।
मैं तेरे पास सदा बैठा,
मुझे तू हटा नहीं देना।।

मैं तेरे कुछ सवालों का,
जवाब क्यों दे नहीं पता।
मैं जाने अनजाने तुझको,
कोई भी कष्ट नहीं देता।।

मैं तेरे दर पर बैठा हूँ,
मुझे तू भगा नहीं देना।
मैं तेरा बना रहूँ रक्षक,
मुझे तू दगा नहीं देना।।

मैं तेरा मार्गदर्शक हूँ,
तुझे भटका नहीं सकता।
मैं तेरे उलझे रस्तों में,
तुझे उलझा नहीं सकता।।

मैं सुलझाने तुझे आया,
तुझे मैं छोड़ नहीं सकता।
तू सब कुछ छोड़ के मुझपे,
बड़े आराम से रहना।।

मैं तेरे साथ रहता हूँ,
तुझे महसूस होता है।
ये महसूसों की अग्नि को,
जलाके तू सदा रहना।।

मैं तेरे दर पर बैठा हूँ,
मुझे तू भगा नहीं देना।
मैं तेरा बना रहूँ रक्षक,
मुझे तू दगा नहीं देना।।

ललकार भारद्वाज

Language: Hindi
1 Like · 18 Views
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