तेरे जागने मे ही तेरा भला है
तेरे जागने मे ही तेरा भला है
सो कर तू क्या पाएगा
यूँ ही सपनों में भटकता रह जाएगा
हाथ ना तेरे कुछ आएगा
पीर जो दूसरों की मिटाएगा
खुद को उत्कर्ष की राह पर पाएगा
दूसरों को जो मुस्कुराना सिखाएगा
अभिनंदन की राह पर, तू निर्बाध बढ़ता जाएगा
गीत जो इंसानियत के तू गुनगुनायेगा
मानवीय विचारों से तेरा जीवन परिपूर्ण हो जाएगा
प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य जो तू निभाएगा
पुष्पित हो जाएगा जीवन का कण कण, तू उस परमात्मा की धरोहर हो जाएगा
चिंतन मे जो अपने तू, उस परमात्मा तत्व को बसायेगा
तू निर्बाध मोक्ष की राह पर बढ़ता जाएगा
अनिल कुमार गुप्ता अंजुम
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