तेरे जवाब का इंतज़ार
सुनो ये तुमसे कह रहा हूं
छलो न दिल को, जो सह रहा हूं
हो न पछतावा तुम्हें कभी भी
दिल से अपने, ये चाह रहा हूं।।
देखो ये हवाएं भी कह रही है
जुल्फों को तेरी जो सहला रही है
इससे ज़्यादा ये भी क्या कहेगी अब
बसो तुम दिल में मेरे, ये भी चाह रही है।।
जाने क्या सोच रहे हो तुम
जो इस तरह मुझे सज़ा दोगे
छोड़ जाऊंगा तेरी गालियां भी
जो एक बार दिल से रज़ा दोगे।।
ये माना कि इस जग में मिलना
बिछड़ना नसीबों का खेल है
ऐसा मिलना भी क्या जिसमें
न दो दिलों का कोई मेल है।।
प्यार तो दो दिलों का मेल है
जो न हो दिल में तेरे, मेरे लिए
एक बार कहकर देख तो लो
मोड़ जाऊंगा अपनी राह, तेरे लिए।।
जो मैं महसूस करता हूं तेरे लिए
ज़रूरी नहीं तू भी करे, मेरे लिए
मैं तो तुझे खुश देखना चाहता हूं
ज़रूरी नहीं तू बनी हो, मेरे लिए।।
दिल की बात तुझसे कहना
मेरे दिल को तसल्ली देने के लिए ज़रूरी था
इन्तज़ार तेरे जवाब का सुनना
भी मेरे दिल की खातिर मेरी मजबूरी था।।