तुम्हारे पास बस यही काम है।
सर्दियों का यह समय काल है।
ये दिन छोटा और बड़ी रात है।।
मौसम होते साल के चार है।
सब मे ही गरीबो की मार है।।
गरीबों के लिए हर छोटी बड़ी बात है।
अमीरों की होती ना कोई भी ज़ात है।।
गर्दिशों में हमारा वैसे बहुत बुरा हाल है।
फिर भी हम रखते तो तुम्हारा ख्याल है।।
बच्चे के लिए क्या दिन क्या रात है।
सुकूँन के लिए माँ की गोद पास है।।
हमको तुमको सभी को इतना तो अहसास है।
गरीब के सोने के लिए सड़क का फुटपाथ है।।
तुम्हारे अंदर इश्क़ के ना कोई जज़्बात है।
इसमे दिल पर लेने वाली ना कोई बात है।।
अब वह रिश्तों में रहते नही साथ है।
जाने क्या उनके दरम्यां म्वामलात है।।
दिल के मौसम में यूँ तो हर पल ही बहार है।
फिरभी ना जाने किस कमी का अहसास है।।
बुझती नही है ये कैसी इश्के प्यास है।
जबकि मेरे हिस्से उसकी हर शाम है।।
ग़ीबत करना यूँ तो होता हराम है।
पर तुम्हारे पास बस यही काम है।।
अगर सबरी के प्रभु श्री राम है।
तो मीरा के भी श्री घनश्याम है।।
समंदर में उठा न जाने कैसा ये बड़ा तूफान है।
गम ना करो कश्तियाँ लगी साहिल के पास है।।
कही पर अल्लाह इमाम है।
तो कही पर श्री भगवान है।।
उसका ये दिखावा आम है।
झूठा उसका सारा ईमान है।।
दिल सुनकर मेरा ये बड़ा ही परेशान है।
कि कब्रिस्तान में अब उनका मकाम है।।
थोड़ी इज्जत उसको भी दो उसका कुछ मान है।
हाँ मानते है गांव का वो पुराना गरीब हज्जाम है।।
आज बिरादरी में तू खासम खास है।
जीत का सेहरा बंधा जो तेरे नाम है।।
ख्याल रखा कर अपना तू मेरा मान है।
कितनी बार कहे तेरे अंदर मेरी जान है।।
आज की महफ़िल मेरी तरफ से तेरा इनाम है।
मैखाने मस्ती में तेरे नाम पर जाम पर जाम है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ