तेरी याद अक्सर आती है
आप तो आते कभी नहीं
तेरी याद अक्सर आती है
गम-ए -जुदाई उपहार दी
तन्हा मैं,नींद नहीं आती है
जब याद तेरी बैचेन बनाएं
मेरी जान ही चली जाती है
मंझदार छोड़ कर चले गए
किश्ती नजर नहीं आती है
बेसहारा हुए हम तुम बिना
शरण नजर नहीं आती है
एकांत में होता एकाकीपन
मेरी रूह भी मचल जाती है
तुम्हें जितना भूलाना चाहें
तेरी याद बेइंतहा आती है
चाह कर भी, ना भूल सकें
तेरी याद रग- रग समाई है
दिन तो कैसे कट जाता है
रात ओर लंबी हो जाती है
मुलाकात लम्हें हैं अल्प से
जुदाई में लम्बी तन्हाई है
आप तो आते कभी नहीं
तेरी याद अक्सर आती है
-सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
9896872258